समाज मे हो रहे सारी गतिविधियों पर नजर रखना या उन पर अपनी राय रखना सबका उत्तरदायित्व होना चाहिए, कुछ लोग ये अमूमन बात बोलते हैं कि समाज का हमने ठेका ले रखा है क्या ।
अरे साहब ठेका नही ले रखा है पर आप अगर सही को सही और गलत को गलत नही कह सकते तो आपके जीवन जीने की शैली में कहीं न कहीं दोष है, हमारे विचार से जरूरी नही दूसरा सहमत ही हो पर हमारे विचार उसके दिमाग मे कुछ न कुछ सोचने और समझने की प्रेरणा जरूर देता है।
अगर हम अपनी बात को दूसरे के सामने रखेगे तो कुछ शब्द पर वो जरुर अमल करेगा, मौन रहना ये मनुष्य का स्वभाव नही है,, परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को और अपने विचारों को दूसरे के सम्मुख जरूर रखें।
क्यों कि मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी भावनाओं को बातों को स्पष्ट तरीके से दूसरे के सामने रख सकता है,जिससे समाज को एक नई दिशा और दशा दोनो मिलती है।
हमसे सब खुश हों ये भी जरूरी नही क्यों कि उनके सोचने का लेवल और उनके सोचने का तरीका उनतक ही शामिल होता है,अगर कोई ब्यक्ति गलत कार्य कर रहा है और आपको पताहै ये गलत है तो आपका ये अधिकार है कि हैं उसको उसी टाइम बोल दें ।
आपके कहने से बमवो अपना कार्य बंद करेगा या नही ये उसपर छोड़ दीजिए पर जब आप ऐसे बार बार बोलेगे तो एक न एक दिन वो सही रास्ते पर आ जाएगा,
कभी भी डर की वजह से गलत को सही साबित नहीं करना चाहिए
लेखक : अंकुल त्रिपाठी निराला
(प्रयागराज )
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