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भक्ति का ये सबसे कड़वा सच है

bitter truth of devotion
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हम खुद के खाने के लिए 800 रुपये किलो का देशी घी खरीदते हैं उन घर की मलाई से घी निकालते हैं, पर वहीं भगवान के पूजा अर्चना के लिए मिलावटी घी जो कि बाजारों में 300,से 400 रुपये किलो घी मिलता है।

उसका प्रयोग करते हैं,,, जब देशी घी 800 रुपये किलो मिलता है तो 300 रुपये किलो का जो घी हम पूजा के लिए लाते हैं । क्या वो शुध्द रहता है ?या किसी पशु की चर्बी के मिश्रण से युक्त वसा दार कोई मिलावटी घी रहता है।

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निवेदन यह है कि जो हम खुद के खाने के लिए घी प्रयोग करें वही घी भगवान के पूजा के लिए भी दीप जलाने और हवन में मिलाने के लिए करें । किचन से हटाकर पूजा स्थल पर साफ सुथरा घी रखें ।

हम खुद थोड़ा कम खाएं पर जो भगवान को अर्पित हो वो शुध्द होना चाहिए, हम अपने खाने के घी से उनके लिए थोड़ा निकाल के रखें,, अगर आप की सामर्थ्य नही है 800 रुपये के घी का तो आप तिल के तेल से भी दीपक जला सकते हैं, बाकी दिनों में आप यदा कदा शुध्द घी का प्रयोग करें ।

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अंकुल त्रिपाठी निराला

प्रयागराज(विचारक)

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