जैसे की हम सभी जानते हैं कि भारत द्वारा हर साल यूपीएससी परीक्षा का आयोजन किया जाता है अन्यथा भारत के संघ लोक सेवा द्वारा आयोजित की जाने वाली यूपीएससी परीक्षा को कठिन परीक्षा माना जाता है ।
हर साल इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करने की उम्मीद लिए लाखों अभ्यार्थी हिस्सा लेते हैं परंतु कुछ गिने-चुने निपुण अभयार्थी ही इस परीक्षा में सफलता हासिल करने में सक्षम हो पाते हैं अर्थात अपने पहले प्रयास में सफलता हासिल करने वाले अभ्यार्थी देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आते हैं ।
देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए लाखों अभ्यार्थी कोचिंग तो सेल्फ स्टडी का सहारा लेकर खुद को पूर्ण करते हैं इस परीक्षा में हिस्सा लेने वाले सभी अभ्यर्थियों का मेन मोटिवेशन आईएएस अफसर बनना होता है ।
यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले कई अभ्यर्थी ऐसे होते हैं जो पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर लेते हैं और प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर आते हैं अर्थात कई विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो असफलता से हार मान लेते हैं साथ ही साथ कई विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो असफलताओं से सीख लेकर लगातार सफलता हासिल करने का प्रयत्न करते हैं ।
कुछ इन्हीं प्रकार के अभ्यर्थियों में से एक धीरज कुमार सिंह , जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि धीरज कुमार सिंह उन अभ्यर्थियों में से हैं जिन्होंने अपने पहले प्रयास में ही यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करके देश के कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में उभर आए हैं ।
धीरज कुमार बचपन से ही पढ़ाई में काफी अव्वल रहे हैं, धीरज ने अपने शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद 12वीं की परीक्षा दी और 12वीं में अच्छे नंबर आने के बाद धीरज ने हिंदू यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस का कोर्स करने का निश्चय किया इस दौरान अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद धीरज ने एमडी की डिग्री हासिल कर ली।
अधिकारियों ने नहीं सुना तो किया आईएएस बनने का निश्चय
जानकारी के लिए आप सभी को बता दें कि धीरज कुमार की मां गांव में रहा करती थी अर्थात वह काफी बीमार रहती थी और धीरज वाराणसी में रहकर पढ़ाई करते थे और धीरज के पिता किसी दूसरे शहर में नौकरी करते थे इसी वजह से अपनी पढ़ाई को छोड़कर हर हफ्ते धीरज को अपनी मां की देखभाल के लिए जाना पड़ता था ।
इस दौरान उन्होंने समस्या को सुलझाने के लिए पिता के अधिकारियों से बात की परंतु पिता के अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी और उनका बर्ताव भी काफी गलत था इस दौरान एक डॉक्टर होने के बावजूद भी धीरज ने निश्चय किया कि अब वह सिविल सेवा में हिस्सा लेंगे ।
लाखों की नौकरी छोड़ने का किया फैसला
धीरज कुमार सिंह के पास एमडी की डिग्री हासिल करने के बाद प्रतिमाह 5 लाख की पैकेज वाला नौकरी करने का मौका था , साथ ही साथ धीरज कुमार की परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी परंतु फिर भी धीरज ने निश्चय कर लिया था कि अब वे सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करके ही मानेंगे ।
घरवालों ने किया विरोध
एमडी की डिग्री हासिल करने के बाद जब धीरज सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करनी शुरू की तो घर वालों ने और उनके दोस्तों ने उनसे कई सवाल जवाब किए साथ ही साथ उनके दोस्तों ने कहा इतनी अच्छी पैकेज वाली नौकरी छोड़ कर यूपीएससी की तैयारी क्यों करनी है परंतु धीरज कुमार सिंह अपनी बातों पर कायम रहे और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करनी शुरू कर दी ।
पहले प्रयास में हासिल की सफलता
धीरज कुमार सिंह ने कड़ी मेहनत और लगन के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की इस दौरान उन्होंने यह भी निश्चय कर लिया था कि अगर वह अपने पहले प्रयास में सफलता नहीं हासिल कर पाएंगे तो अपने पुराने पेशे में लौट जाएंगे ।
धीरज कुमार सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बाद यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया इस दौरान उन्होंने अपने पहले प्रयास में ही वर्ष 2019 में भारत के संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई यूपीएससी की परीक्षा में 64 वीं रैंक हासिल करके शानदार सफलता हासिल कर ली।