भारत से थाईलैंड को निर्यात किए जाने वाले मुख्य मसाले मिर्च, हल्दी, लहसुन, मसाला तेल और करी पाउडर हैं। आजकल देश में मसालों के दाम तेजी से बढ़े हैं।
स्पाइस बोर्ड ने भारत के 240 से अधिक मसाला निर्यातकों और थाईलैंड के 60 आयातकों के बीच एक वर्चुअल बैठक आयोजित की। दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक वेबिनार का आयोजन किया गया था।
आर्थिक मामलों के मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस कार्यक्रम में प्रमुख मसाला आयातकों और निर्यातकों के साथ-साथ कई व्यापार संघों, वाणिज्य मंडलों, बड़ी सुपरमार्केट श्रृंखलाओं और डिपार्टमेंट स्टोरों ने भाग लिया।
मसाला निर्यातकों और आयातकों के इस कार्यक्रम का आयोजन बैंकॉक में भारतीय दूतावास द्वारा किया गया था। भारत हर साल थाईलैंड को औसतन 68,225 टन मसालों का निर्यात करता है, जिसका मूल्य 944.35 अरब रुपये है। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह भारत के कुल मसाला निर्यात मूल्य का छह प्रतिशत है। इसके अलावा, थाईलैंड को निर्यात किए जाने वाले मसाले भारत के कुल निर्यात का पांच प्रतिशत हिस्सा हैं।
निर्यात सुविधा और संवर्धन
मसालों में सब से जयादा मिर्च, हल्दी, लहसुन, मसाला तेल और करी पाउडर थाईलैंड भारत से आयात करता हैं। स्पाइसेस बोर्ड के सचिव डी. साथियान ने कहा कि स्पाइसेस बोर्ड निर्यात को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा वर्चुअल प्लेटफॉर्म शुरू करने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा कि यह मंच निर्यातकों को अद्यतन व्यापार और बाजार की जानकारी के साथ-साथ पोर्टल पर अपना वर्चुअल कार्यालय स्थापित करने की क्षमता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, “पोर्टल भारतीय मसाला उद्योग के लिए वर्चुअल ट्रेड शो और मीटिंग, सेमिनार, वर्कशॉप और ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करने की क्षमता भी प्रदान करेगा।”
मसाले की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं
आजकल देश में मसालों के दाम तेजी से बढ़े हैं। जीरे की कीमत तेजी से बढ़ी है और इसकी कीमत दो हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई है। कमजोर मानसून के कारण संकट के बाद आने वाले समय में दानेदार मसालों की खेती ठप पड़ी है। क्योंकि जीरा जैसे मसालों की बुवाई के लिए मिट्टी तैयार नहीं होती है।
जीरे के लिए मिट्टी की नमी बहुत जरूरी है। आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है। लौंग, दालचीनी, इलायची, काली मिर्च आदि भी केरल में उगाए जाते हैं।
दुनिया के मसालों की करीब 60 फीसदी जरूरत भारत से आती है। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अत्यधिक वर्षा के कारण सबसे अधिक हल्दी का उत्पादन होता है।
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