बिहार के पूर्व प्रधानमंत्री लालू प्रसाद यादव के जीवन में एक ऐसी घटना घटी थी, जब लालू का सामना हुआ था एक भूत से। ये हम नहीं कह रहे है बल्कि उन्होंने अपनी पुस्तक “गोपालगंज से रायसीना” में अपने राजनीतिक जीवन के बारे में बताया। लालू यादव का बचपन गांव में ही बीता।
वह यहां अपनी उम्र के अन्य बच्चों के साथ खूब मस्ती किया करते थे। लालू के अनुसार गर्मी के मौसम में गांव में रात में भोजपुरी लोक प्रेम कहानी (सूरथी बिरजभर) गाई जाती थी।
इसे गांव के पुरुषों और बच्चों ने बड़े मन से सुना। इसे उनके गांव के एक बुजुर्ग चाचा ने गाया था। रात के खाने के बाद लोगों ने यहां बैठकर एन्जॉय किया ।
इसे सुनने के लिए लालू यादव भी अक्सर पहुंच जाते थे। लेकिन एक बार कुछ ऐसा हुआ जो उनकी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित हो गया। लालू यादव सूरथी बिरजभर की बात सुनकर सो गए और वहां धान के भूसे के ढेर पर सो गए। लालू को पता ही नहीं चला कि काका का गाना कब खत्म हुआ और लोग अपने घरों को चले गए ।
आधी रात को उसे दो लड़कों ने जगाया और अपने साथ चलने को कहा। लालू के मुताबिक, अब तक उन्हें बहुत नींद आ रही थी इसलिए वह इन लड़कों को पहचान नहीं पाए, लेकिन उनके साथ चला गया ।
दोनों लड़के उनके साथ चलकर श्मशान घाट जा रहे थे कि लालू कुछ देर रुकने के लिए रुके। तब तक लालू ने लड़कों के चेहरे नहीं देखे थे। उसी समय गांव के तपेसर बाबा नाम के एक बुजुर्ग को आते देखा गया। उसे देखते ही दोनों लड़के गायब हो गए और भाग गए।
लालू भी अपने वतन लौट गए। अगली सुबह उसने अपने दोस्तों से पूछा कि वे उन्हें रात में कहाँ ले जाएँगे और फिर पता चला कि वे सभी अपने घरों में सो रहे थे। यह सुनकर लालू ने तपसर बाबा के घर जाकर रात के बारे में पूछा। उसने कहा कि वह रात में कहीं नहीं गया।
जब लालू ने अपनी मां को सारी बात बताई, तो उन्होंने कहा, ‘जो लड़के आपके दोस्त बनकर आए थे, वे जरूर भूत रहे होंगे और तपसर बाबा के रूप में एक अच्छी आत्मा ने आपको उन भूतों से बचाया था।’ लालू यादव के मुताबिक जहां यह घटना हुई वहां गांव वालों ने एक छोटा सा पूजा स्थल बना लिया था. तब से लालू जब अपने गांव जाते हैं तो वहां पहुंचकर जरूर झुकते हैं।
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